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कुदरत करिश्मा एक बच्चे के पेट पर साँप का निशान और लड़की की रीड की हड्डी के पूँछ वाली जगह पर हैं लम्बे बाल

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फरीदकोट : कई बार कुदरत की खेल मनुष्यों की समझ से बाहर हो जाती है और लोग उन को कोई ईश्वर का रूप या फिर कोई इसको ईश्वरीय ताकत समझ लेते हैं। ऐसा ही मामला सामने आया है फरीदकोट के गाँव नत्थलवाला में जहा पर एक गरीब किसान के घर कुल 5 बच्चे हैं जिन का गुज़ारा वह बहुत ही मुश्किल के साथ करता है परन्तु उन में से दो बच्चे ऐसे हैं जिन में कुदरत ने कुछ अजीब जैसे रंग पैदा किये हैं जिन को देख कर कर कोई हैरान हो रहा है।हरदीप सिंह नाम के 10 साल के बच्चे के पेट के बांये तरफ़ एक साप का निशान है। परिवार मुताबिक यह साँप का निशान हर १५ दिन बाद काला या सफ़ेद रंग बदलता है और १२ साल की मनप्रीत कोर नांम की एक लड़की जिसके पीठ पर रीड की हड्डी पर पूँछ वाली जगह पर लम्बे बाल हैं जो कि बिलकुल पुंछ की तरह ही दिखाई देते हैं।परिवार वालों का कहना है कि वह हर जगह पर घूम घूम कर थक चुके हैं परन्तु उन को कोई भी सही रास्ता नहीं दिखाई देता।उन का कहना है कि वह बड़े से बड़े पंडित,मौलवी,डाक्टरों को मिले हैं परन्तु किसी ने भी उन को कोई राहत वाली ख़बर नहीं सुनाई।उनके कहने मुताबिक डाक्टर भी इसको उनके बस से बाहर की बात कह रहे हैं और पंडित इसको शिव का साँप या हनुमान का रूप कह रहे हैं।
वि ओ -१ -इस मौके इन बच्चो के पिता कुलविन्दर सिंह का कहना था कि वह काफी जगह पर गए हैं कहीं इस साँप के निशान को शिव जी का,विशनू का और लड़की की के बालों को कोई हनुमान और कोई माता बताता है वह ज्वाला जी भी गए थे जहाँ पडितों ने कहा कि यह कोई महान शक्ति है।इसके साथ ही कुलवंत सिंह ने दावा किया कि कोई भी मानसिक रोग हो धौळा डाल कर ठीक कर देते हैं।इन बच्चो की माता सुखवंत कोर का कहना है कि वह चाहते हैं कि उन को फिक्र है कि लड़की तो परया धन है और अगले घर जायेगी तो वह इसको क्या कहेंगे।
इसके साथ ही गाँव के निवासी एक नौजवान भूपिन्दर सिंह ने कहा कि यह परिवार काफ़ी गरीब है और यह हर जगह और जा चुके हैं इन को कोई भी सही रास्ता नहीं दिखाई के रहा अगर यह कोई रोग है तो सरकार को इन की मदद करनी चाहिए। उधर तर्रकशीत सोसायटी भारत इकाई फरीदकोट के प्रधान लखविन्दर सिंह का कहना है कि यह हारमोनश का तालमेल ना होने कारण यह बाल किसी जगह पर पैदा होते हैं और खून का सर्कल सही ना होने पर इस तरह दे मामला देखने को मिलते हैं।परन्तु कुछ लोग इस तरह से अपनी रोज़ी रोटी चलाते हैं। जब बाबा फ़रीद यूनिवर्सिटी आफ हैल्थ एड सायश के डाक्टरों के साथ बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह एक तरह की बीमारी होती है और िस तरह की हर बीमारी का इलाज संभव है और यदि इस तरह की बीमारी का इलाज ना करवाया जाये तो यह भयानक रुप धारण कर सकतीं है।
एक तरफ़ जहाँ हमारा देश २१ भी सदी में नयी बुलन्दियें को छूने की कोशिश कर रहा है और रोजाना नई बुलन्दीओ को छू रहा है वहां ही अंधविशवाश भी हमारे देश में बढ़ता जा रहा है और लोगों के भोलेपन का फ़ायदा उठा कर ये लोग अपना उल्लू सीधा करते हैं। आज हमारे समाज के लोगों को ज़रूरत है जागरूक होने की और इन बीमारियाँ को भगवान का कोई रूप या कोई शक्ति ना समझकर उसका इलाज करवाने की ताकि हमारा देश और समाज ओर आगे अधिक आगे बढ़ सके ।
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