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सुखी दुखी जीवन को व्यतीत करने वाला ही आध्यात्मिक माना जाता है:प्रोफेसर : गिरिश।

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फरीदकोट(शरणजीत ) स्थानिक श्री गैरा राम ट्रस्ट में ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय फरीदकोट की तरफ से तीन रोज़ा कैंप के पहले दिन हुए प्रोगराम में बम्बई से पहुँचे पिरो: गिरिश ने संबोधन करते कहा कि हर व्यक्ति सफ़ेद या साध्वी पहनावो में आध्यात्मिक नहीं माना जा सकता जिस के साथ आध्यात्मिक की सही पहचान हो। हर घड़ी सुखी दुखी जीवन को व्यतीत करने वाला ही आध्यात्मिक माना जाता है। उनहोने कहा कि हर बच्चा चाहता है कि माँ -बाप प्यार के साथ बातचीत करे परन्तु माँ -बाप बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए कभी प्यार के साथ और कभी गुस्से में कहते हैं। वह बच्चे सुनहरी भविष्य के लिए चिंतित रहते हुए बच्चो के साथ गर्म व्यवहार करते हैं तो वह बच्चो के लिए गुड्ड माँ -बाप नहीं बुरे माँ -बाप बन जाते हैं। उनहोने कहा कि एक बीमार बच्चा दर्द के साथ हस्पताल में तड़त रहा है। बच्चा कह रहा है कि मुझे बहुत दर्द हो रही है और माँ -बाप और सभी रिश्तेदार मेरा थोड़ा थोड़ा दर्द ले ले। परन्तु कोई दर्द ले सकता है? नहीं। फिर चिंतित क्यों। हर बच्चा अपना भविष्य के साथ ले कर आया है। हर माँ -बाप को बच्चो के साथ प्यार के साथ बात करनी चाहिए।
इस मौके विशेष तौर पर प्रवीण सच्चर और नीलम सच्चर ने शमें रौशन किया। उनके साथ पिरो: गिरिश, फरीदकोट जोन के इंचार्ज ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी, कोटकपूरा सैंटर इंचार्ज ब्रह्माकुमरी संगीता दीदी उपस्थित थे। इस शिवर में इलाको के बहनों भाई बड़ी संख्या में पहुँचे और वातावरण शान्ति पूर्ण बना रहा। सभी ने जीवन में अच्छे बनने के तौर तरीके सुन कर सुखी रहने का अनुभव किया।

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