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आगमन पुर्व के अन्तिम दिन विशाल अलोकिक नगर कीर्तन सजाया गया

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फरीदकोट(शरणजीत ) 12वीं सदी क महान सूफ़ी दरवेश जिन्होंने सारी मानव जाति को सादगी, मिठास, विनम्रता और बुरे का भला करने का महान उपदेश दिया। उन की सिखिया को दुनिया के कोने -कोने में पहुँचाने के मनोरथ सदका हर साल की तरह इस साल भी फरीदकोट में 19 से 23 सितम्बर तक मनाए जा रहे आगमन पुर्व के आज आखिरी दिन हरेक के भले के लिए विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया गया । यह नगर कीर्तन गुरुद्वारा टिला बाबा फ़रीद से पाँच पयारों का नेतृत्व नीचे आरंभ हुया और इस में शामिल भारी गणिती में संगतो ने अलग -अलग वाहनों पे लगे लाऊंड स्पीकरों दुयारा बाबा फ़रीद जी की ईश्वरीय वाणी का गुणगाण करके संगतो को निहाल किया। नगर कीर्तन में शामिल एक विशेश वाहन पे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पालकी फूलों के साथ सजायी हुई थी। नगर कीर्तन के दोनों रास्तों पे खडी साध संगत ने फूलों की वर्षा करके सीस झुकाया और हरेक के भले की कामना की। नगर कीर्तन के सभी रास्ते पे संगतो ने नगर कीर्तन के आगे आगे चल कर पूरे रास्तो की सफ़ाई की सेवा की और इसके इलावा संगतों की तरफ से जगह -जगह पे चाय, मिठाईयों , फल आदि क लंगर भी लगाए गए। यह नगर कीर्तन शहर के अलग अलग क्षेत्रों में से बाबा फ़रीद जी की उच्चारण करी वाणी का जाप करते जब डिप्टी कमिशनर निवास पर पहुंचा तो यहाँ पर तैनात स. मालविन्द्र सिंह जगी फरीदकोट ने अपने परिवार समेत श्री गुरु ग्रंथ साहिब पर रुमाला भेंट किया और नतमस्तक हो कर गुरू घर की ख़ुशियां प्राप्त की। इस से पहलें अपने निवास स्थान के बाहर स. जगी ने शरधालूयों की लडूयों और चाय के लंगर के साथ सेवा की। इस के बाद पुलिस लाईन पहुँचने पर स. सुखमन्द्र सिंह मान एस. एस. पी. ने अपने परिवार और स्टाफ समेत श्री गुरु ग्रंथ साहबि के सुंदर वस्त्र भेंट करके हरेक के भले के लिए अरदास करवाई और साध संगत को मिठाईयां बाँटने की सेवा भी की। इस तरह यह नगर कीर्तन जब गुरुद्वारा माई गोदड़ी साहिब पहुँचा तो यहाँ पहुंच कर इसने विशाल धार्मिक दीवान का रूप धारण कर लिया जहाँ मसहूर रागी जत्थों की तरफ से संगतो को अपने मनोहर कीर्तन के साथ निहाल किया।

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