नई दिल्ली ।ललित मोदी कांड से अपनी सरकार की छवि पर लग रहे दाग से आहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मामले में पहले दिन ही फैसला लेना चाहते थे।लेकिन संघ नेतृत्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संयुक्त आग्रह ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।अगले दिन ललित मोदी प्रकरण की आंच में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह के आ जाने से मामला बेहद पेचीदा हो गया।अब इस पेचीदा उलझन को सुलझाने की जिम्मेदारी गृह मंत्री राजनाथ सिंह संभाल रहे हैं और इस पूरे प्रकरण में वह उसी तरह एनडीए के संकट मोचक बनकर उभरे हैं जैसे कभी यूपीए में प्रणब मुखर्जी हुआ करते थे।यह जानकारी देने वाले संघ और भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस को अपनी नीति बनाने वाले प्रधानमंत्री पहले दिन जब मीडिया में सुषमा स्वराज द्वारा ललित मोदी की मदद करने का मामला सामने आया, तभी उनसे इस्तीफा लेने का मन बना चुके थे।उन्होंने अपनी मंशा से संघ नेतृत्व को अवगत कराया तो संघ ने उन्हें फिलहाल ऐसा न करने की सलाह दी।इसके बाद संघ नेतृत्व ने राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी दी कि वह इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करें।गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री से मिलने गए।उनके बीच लंबी बातचीत हुई।इसमें प्रधानमंत्री ने सरकार, पार्टी और अपनी छवि का हवाला दिया।लेकिन गृह मंत्री ने सुषमा के कद, वरिष्ठता और महत्व का हवाला देते हुए कहा कि तत्काल ऐसा करने से विपक्ष के हौसले बुलंद हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संघ नेतृत्व, अन्य मंत्रियों और पार्टी की राय भी इस मामले में जल्दबाजी और मीडिया व विपक्ष के दबाव में कोई फैसला न करने की है।तय हुआ कि पार्टी सुषमा के बचाव में खड़ी होगी।इधर विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा लेकिन उनसे राजनाथ से बात करने को कहा गया। प्रधानमंत्री से मिलने के बाद राजनाथ और शाह ने मानवीय आधार का हवाला देते हुए सुषमा का बचाव किया।जबकि संघ ने अपने वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार से बयान दिलवाकर अपना रुख पहले स्पष्ट कर दिया था।इसके बाद राजनाथ और सुषमा की बात हुई जिसमें सुषमा ने इस्तीफे की पेशकश भी की जिसे नहीं माना गया।संघ नेतृत्व के करीबी एक नेता के मुताबिक लेकिन तब तक किसी को यह अनुमान नहीं था कि मामला इतना जटिल हो जाएगा।अगले दिन ललित मोदी के वकील द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों से ललित मोदी के पक्ष में वसुंधरा राजे के कथित हलफनामे और बाद में उनके बेटे और भाजपा सांसद दुष्यंत की कंपनी के शेयरों की ललित मोदी द्वारा कई सौ गुना दामों पर खरीद के बाद मामला खासा पेचीदा हो गया।अब एक तरफ हमलावर विपक्ष और मीडिया के सवालों से प्रधानमंत्री की बेदाग छवि के बिगड़ने का खतरा तो दूसरी तरफ विदेश मंत्री और राजस्थान की मुख्यमंत्री के इस्तीफे से पार्टी और सरकार के भीतर बनने- बिगड़ने की आशंका बढ़ गई है।