‘तन मन का अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ी निधि है’, इसी बात की जागरुकता लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने यू.एन. से योग को अनुमोदित करा 21 जून को ‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में शुरूआत करा भारत को ‘योग गुरु’ होने का गौरव पुन: लौटा दिया है।
‘अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के उपलक्ष्य में आज ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय, लुधियाना शाखा की ओर से डी.एम.सी. के नजदीक रोज गार्डन मे सुबह 6:00 से 7:30 बजे तक एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच का संचालन ब्रह्माकुमारीज लुधियाना शाखा की प्रमुख राजयोगिनी राजश्री जी ने किया। पंजाब विधान सभा स्पीकर स. चरनजीत सिंह अटवाल ने दीप प्रज्जवलन कर समारोह का उद्घाटन किया। मंच पर उपस्थित अनेक गणमान्य जनों में लुधियाना मेयर श्री हरचरण सिंह गोहलबडिय़ा, पंजाब प्लानिंग बोर्ड के वाईस चेयरमैन श्री राजेन्द्र भण्डारी, सेवानिवृत सिविल सर्जन डा. सुभाष वत्ता, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. अविनाश, पूर्व एम.एल. श्री जगदीश सिंह गरचा, पतंजलि योग समिति से श्री कृष्ण लाल गुप्ता, बाबा बंदा सिंह बहादर अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के चेयरमैन के.के. बावा जी व अन्य उपस्थित थे।
ब्रह्माकुारीज संस्था से जुड़े योगाभ्यासी श्री शत्रुघ्र बंसल जी ने अत्यधिक संख्या में पहुंचे उत्साहित लुधियाना वासियों के ú उच्चारण के साथ यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कराया व इसके शरीर पर होने वाले प्रभावों का ज्ञान भी कराया। उन्होंने जनसमूह को प्रतिदिन योगाभ्यास करने के लिए प्रेरित किया। जनता ने भी बहुत उत्साह दिखाया।
दिल्ली से आए जी.वी. पंत अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डा. मोहित गुप्ता इस कार्यक्रम के विशेष आकर्षण रहे। स्वास्थ्य क्षेत्र में 18 स्वर्ण पदक, 5 रजत पदक हासिल कर चुके डा. गुप्ता देश के युवा वैज्ञानिक के रूप में डी.पी. वासु मैमोरीयल पुरसकार पा चुके हैं व हाल ही में उन्हें भारत रत्न से भी पुरस्कृत किया जा चुका है। डा. गुप्ता बचपन से ही राजयोग का अभ्यास करते हा रहे हैं, उन्होंने इस मौके पर ‘ओउम्’ उच्चारण का प्रायोगिक महत्व बताते हुए कहा कि ‘अ’ से आचरण, ‘उ’ से उच्चारण व ‘म’ से मन के विचार इन तीनों के संतुलन से शरीर व मन स्वस्थ रहता है, आज इंसान सोचता कुछ है बोलता कुछ वह करता कुछ और है। यही तनाव, चिंता, असंतुष्टता का कारण है जिससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गठिया जैसी बीमारियां व्यक्ति समाज व देश को अस्वस्थ कर रही है। उन्होंने कहा कि शरीर अस्वस्थ हो पर मन खुश हो तो इंसान मुसीबों का सामना कर सकता है परन्तु मन अस्वस्थ होने से शरीर के स्वस्थ होने पर भी, शरीर की कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है। उन्होंने मन की शक्ति पहचानने व उसे खुश रखने की महत्ता पर बल दिया। ‘योग’ का अर्थ है जोडऩा, योग का पूर्ण अर्थ बताते हए उन्होंने कहा कि शारीरिक स्वास्थ्य के हिसाब से मन व शरीर के संतुलिन जोड़ व अध्यात्म के हिसाब से मन व आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव कराता है। इस तरह शरीर-आत्मा-परमात्मा के वीच मन मध्यस्थ का काम करता है। मन के सुस्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा भोजन उन्होंने सकारात्मक सोच व उच्च, अच्छे विचारों को बताया।
पूर्ण रूप से योग को जीवन में धारण करने से शरीर की स्वस्थ, मन की खुशी व आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। जीवन के तीन स्तम्भ-अच्छा भांजन, व्यायाम (योगिक क्रियाएं) व आराम (उचित नींद) है। इतना विशेष ध्यान व संतुलन व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए अत्यावश्यक है। व्यक्तियों से ही समाज व देश बनता है, स्वास्थ नागरिकों से ही स्वस्थ समाज बनता है। स्वस्थ समाज ही देश की प्रगति उन्नति में भागीदारी दे सकता है।
अंत में बी.के. सुषमा ने उपस्थित विशाल जनसमूह को कॉमेन्ट्री के साथ योग (मेडीटेशन) करा आत्मिक शांति का अनुभव कराया।