मंत्री सहित तत्कालीन इंस्पेक्टर व तीन चार अन्य पर भी दर्ज हुआ ह्त्या का केस उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर के कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार जगेंद्र सिंह ने बीते माह प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री राममूर्ति वर्मा के विरुद्ध सोशल मीडिया के माध्यम से मंत्री जी का सच आम आवाम तक पहुँचाने का साहसिक कार्य किया था । जिसके बाद से ही मानो उसके बुरे दिन की शुरुआत हो गयी । मंत्री जी उसके पीछे ऐसे पीछे पड़े कि पत्रकार को अपनी जान गवां कर बदला चुकाना पड़ा । यदि जगेंद्र सिंह की फेसबुक अकाउंट में 22 मई की पोस्ट की बात करें तो उन्होंने लिखा है कि राममूर्ति सिंह वर्मा मेरी ह्त्या करा सकते हैं । इस समय नेता गुंडे और पुलिस सब मेरे पीछे पड़े हैं सच लिखना जिंदगी पर भारी पड़ रहा है । राममूर्ति वर्मा के कुछ कारनामो का खुलासा किया तो हमला करा दिया । उनके लोगों पर रिपोर्ट दर्ज करा दी तो मंत्री ने स्मैकिये अमित से मेरे खिलाफ लूट अपहरण और ह्त्या के प्रयास की रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज करा दी । 28 अप्रैल के हुए हमले में मेरे पैर का पंजा टूटा था और प्लास्टर चढ़ा हुआ था अब पुलिस को कैसे समझाए कि पैर टूटा आदमी अपहरण नहीं कर सकता है । मारपीट तो दूर की बात है । पत्रकार ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा है कि स्थानीय थाने की पुलिस ने ऐसी दबिशें डाली जैसे कहीं से डकैती डाल कत्ल करके भागा हुआ हूँ । यही नहीं मृतक पत्रकार ने डी जी पी,गृह सचिव,डी आई जी बरेली से मिलकर जांच की मांग भी की
अपने आखिरी समय के दौरान की गयी पोस्ट में मंत्री पर ह्त्या का आरोप लगाते हुए लिखा था कि ह्त्या का खड्यंत्र रच रहे हैं जल्द ही कुछ गलत होने वाला है ।
और वही हुआ जो उसने अपनी पोस्ट पर लिखा था । पुलिस की धरपकड़ के दौरान 60% तक जल चुका जगेंद्र आज दुनिया में नहीं है । लेकिन उसकी लिखी एक एक शब्द मंत्री पर ह्त्या के लिए सटीक साबित हुई हैं।
पत्रकारों की एकता और विरोध के बाद प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश के बाद मंत्री व तत्कालीन इंस्पेक्टर पर धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है । मुख्यमंत्री ने इस मामले में अपने सख्त तेवर भले ही दिखाए हो लेकिन यह कहना यहाँ जरूरी है कि श्री देवीपाटन मंडल के गोंडा में इसी तरह आकाश अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा पोस्ट की गयी खबर पर मंत्री ने अपना रौब ग़ालिब किया था जिसकी चर्चा भी जोरों से फैली थी । सवाल यह उठता है कि यदि गोंडा प्रकरण का संज्ञान मुख्यमंत्री जी द्वारा लिया जाता तो शायद जगेंद्र बच सकता था