करनाल, 26 जुलाई। कांग्रेस के राज में नगर के मोती नगर की गली नंबर-5 में वर्ष 2014 में इंटरलोकिंग टायल से निर्माण की गई एक गली में लगाई गई टायल
का सैम्पल फेल हो गया है। इस से पहले निगम के अधिकारियों ने अपनी लापवाही छुपाने के लिए इन टायल के लिए गए सैम्पल को प्रदेश में ही स्थित कुरूक्षेत्र की एनआईआईटी लैब से टैस्ट भी कराए और यहां से आई रिर्पोट में इन सैम्पलों को पास दर्शया गया, लेकिन इस मामले के शिकायतकर्ता सुभाष बजाज ने इस पर आर्पित जाहिर करते हुए इसे दिल्ली में स्थित श्री राम लैब
से कराने की मांग की। जिस के आधार पर निगम ने आखिरकार इन टायलों के
सैम्पल दिल्ली भेज दिए। अब ये सैम्पल फेल होने की रिर्पोट इस लैब के अधिकारियों ने भेज दी है। रिर्पाेट के अनुसार इन टायलों की गुणवक्ता 35.1एमएम होनी चहिए, जबकि जांच में इसकी गुणवक्ता केवल मात्र 22.8 ही निकली
है। ऐसे में ये तो साफ जाहिर हो गया है कि उस समय के अधिकारियों की मिली
भगत से घटिया किस्म की टायल लगाई है। इधर श्री बजाज ने निगम की कमीश्रर
से मांग की है कि जिन अधिकारियों की देख रेख में ये निर्माण किया गया है
और ये घटिया टायल लगाई है, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए और इसी के साथ उन्होंने ये भी मांग की है कि उस समय के दौरान इन अधिकारियों ने नगर में जहां जहां पर विकास कार्य करते हुए घटिया समान लगाया है, उसकी भी
जांच कराई जाए। उन्होंने बताया कि इन टायलों की जांच निगम के मौजूदा अधिकारियों ने मामले पर लीपापोती करते हुए इन की जांच एनआईआईटी कुरूक्षेत्र से दो बार कराई गई थी, जिसे इस संस्थान द्वारा दो बार पास दर्शया गया था, लेकिन अब इनके फेल होने की रिर्पोट आने से यह जाहिर हो गया है कि कहीं न कहीं निगम के अधिकारियों की मिली भगत है और ऐसे भ्रष्ट
अधिकारियों की भी जांच की जानी चाहिए। इधर निगम ने इस सडक़ का निर्माण
करने वाले ठेकेदार को रिकवरी का नोटिस भेज दिया है और जिन अधिकारियों की लापरवाही पाई गई है, उन्हें भी नोटिस भेज कर तलब किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि यदि वे समय पर उपस्थित नही हुए तो उन पर लगाए गए आरोपों को सही माना जाएगा। इस भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए मोती नगर गली नंबर-5
निवासी सुभााष बजाज ने बताया कि अक्तबूर 2014 को नगर निगम द्वारा उनकी
गली में इंटरलोकिंग टायल से गली की सडक़ का निर्माण किया गया था, लेकिन इस
दौरान निगम के अधिकारियों ने ठेकेदार से मिली भगत कर इस दौरान घटिया सामाग्री का प्रयोग किया। जिस की उन्होंने पहले सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी मांगी, लेकिन आरोप है कि निगम ने उन्हें समय पर जानकारी नही
दी और निगम को राज्य सूचना आयोग द्वारा 15 सौ रुपए का जुर्माना भी हुआ
था। जिस के बाद उन्होंने सुभाष बजाज को जानकारी देना आरंभ कर दिया और इस निर्माण में कई बडे खुलासे भी हुए। जिस की जांच जारी है। शिकायतकर्ता सुभाष बजाज ने नगर निगम की कमीशन से इस भ्रष्टाचार की उच्चतरीय जांच कराए
जाने की मांग की है।शिकायत मिलने के बाद निगम की आयुक्त ने इसकी जांच नगर सुधार मंडल से आए एक्सईयन महिपाल को सौंप दी थी। इधर महीपाल ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि एक साल पहले सुभाष बजाज की शिकायत
उनके समक्ष आई थी और तभी इसे इसकी जांच की जा रही थी। उन्होंने बताया कि
पहले उन्होंने इन टायलों की गुणवक्ता जानने के लिए कुरूक्षेत्र एनआईआईटी
में भेजी थी। जहां से दोनों बार टायल की गुणवक्ता सही पाए जाने की रिर्पोट आई, लेकिन इस मामले के शिकायतकर्ता ने इस पर आपति जाहिर की और निगम के अधिकारियों की इस में मिली भगत के आरोप लगाते हुए इसकी जांच दिल्ली स्थिति श्री राम लैब से कराए जाने की मांग की। जिस पर निगम की कमीश्रर ने श्री राम लैब से टायल की जांच करवाने के आदेश जारी कर दिए।श्री महिपाल ने बताया कि कमीश्रर के आदेश के बाद टायल के सैम्पल को जांच
के लिए दिल्ली भेजा गया था। अब वहां की रिर्पोट में ये टायल फेल साबित हुई है। जिस की रिर्पोट तैयार कर कमीश्रर को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि इस शिकायत पर कार्यवाही आंरभ हो गई है और जो-जो अधिकारी इस निर्माण में सनलिप्त थे, उन्हें भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। इसी के साथ
ही जिस ठेकेदार ने इस गली का निर्माण किया, उसे भी रिकवरी का नोटिस भेज
दिया है। एक्सीईयन महिपाल ने यह भी बताया कि इस मामले में जिन अधिकारियों
की मिली भगत पाई जाएगी, उनके खिलाफ विभागिय जांच भी आरंभ हो गई है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में जो भी अधिकारी थे, उनके 1 जनवरी 2015 को ही यहां से तबादला हो गया था।