चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के हरियाणा सरकार के फैसले पर रोक लगाने के बाद सरकार भले ही विरोधी दलों के निशाने पर आ गई है, लेकिन शुक्रवार को नामांकन ठीक उसी प्रक्रिया के तहत होंगे, जिस तरह 15 सितंबर से चालू हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की लिखित प्रति नहीं मिलने को ढाल बनाते हुए राज्य चुनाव आयोग अनपढ़ उम्मीदवारों के नामांकन पत्र स्वीकार नहीं करेगा। आयोग की ओर से जिला निर्वाचन अधिकारियों को ऐसी मौखिक हिदायतें भेज दी गई हैं। राज्य चुनाव आयुक्त राजीव शर्मा ने इस संबंध में प्रदेश सरकार से दिशा-निर्देश मांगे हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बृहस्पतिवार शाम अपने निवास पर मंत्री समूह के कुछ मंत्रियों और सीनियर अधिकारियों की आपात बैठक बुला ली, जिसमें तय हुआ कि राज्य सरकार शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट में अप्लीकेशन मूव कर अदालत से सरकार की बात जल्दी सुनने का अनुरोध करेगी। बैठक में पंचायत एवं विकास मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव महाजन भी शरीक हुए।
धनखड़ ने कहा कि अभी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का आधिकारिक रूप से कुछ पता नहीं चला है। सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाएगी और अदालत से अनुरोध करेगी कि सरकार की बात यथाशीघ्र सुनी जाए, ताकि चुनाव प्रक्रिया पर कोई विपरीत असर नहीं पड़े। क्या निरक्षर भी नामांकन कर सकते हैं? इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। चूंकि अभी सुप्रीम कोर्ट की कोई डायरेक्शन सरकार के पास नहीं पहुंची हैं। इतना जरूर है कि यदि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार की जल्द सुनवाई संबंधी अपील पर कोई गौर नहीं करती तो निसंदेह पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है।