पानीपत शहर के जागरूक नागरिको-आपके शहर की एक बेटी, आपकी अपनी एक बहन पिछले 2 दिन से रोहतक pgi में 95% जली हालात में अपनी जिंदगी व मौत से जूझ रही है। दहेज़ के लोभी मेरे पति, देवर व सास ने मुझे जला कर मारना चाहा। अभी मै जीवित हूँ लेकिन ना जाने कब मेरी साँसे समाप्त हो जाए।लेकिन इस दुनिया को विदा करने से पहले मै जानना चाहती हूँ कि:-क्या इस देश में गरीब के घर बेटी का होना अभिशाप रहेगा?क्या इस देश में जहाँ सरकारो द्वारा बेटी बचाव का नारा दिया जाता है बेटियों को इसी तरह जलाया जाता रहेगा?क्या बेटियों को जलाने वाले दरिंदो को पुलिस के लोग अपनी आमदनी के लिए इसी तरह खुल्ले छोड़े जाते रहेंगे?
क्या एक गरीब बाप व उसका परिवार अपनी बेटी को न्याय दिलवाने के लिए इसी तरह थानों के चक्कर काटते रहेंगे?क्या भाई इसी तरह से अपनी बहनो को तड़फता देखते रहेंगे?क्या पुलिस व प्रशासन के लिए एक बेटी का जलना इसी तरह से कोई मायने नहीं रखेगा चूँकि इसमें भी उनकी जेबे भरती है?मुझे जलाने वाले दरिंदो को पकड़ने में पुलिस की रूचि क्यों नहीं?क्या इसी तरह बचेंगी बेटियां?ठीक है मै आपकी बेटी नहीं लेकिन इस शहर की तो बेटी हूँ। इसी शहर की फिजाओ में पली बढ़ी हूँ।इसी शहर ने मुझे जीना सिखाया। इसी शहर ने सिखाया था की मै अपनी सुसराल वालो के सामने ना बोलू। लेकिन मुझे नहीं पता था की मेरी शराफत ही मुझे एक दिन इस अवस्था में पहुंचा देगी।क्या इस शहर में कोई है जो मुझे न्याय दिलवाने के लिए लड़ रहे मेरे परिवारजनो का साथ दे दे।कहते है सामजिक संस्थाये न्याय दिलवाती है। मै देखना चाहती हूँ कि इस शहर की कौन सी संस्था है जो गरीब की बेटी को न्याय दिलवाने के लिए आगे आएगी व उन दरिंदो को सलाखों के पीछे पहुंचवायेगी जिन्होंने मुझे ना जीने के लिए छोड़ा ना मरने के लिए।”बेटी बचाओ” वाले इस देश में एक बेटी इन्साफ मांग रही है। अगर कोई रहम दिल है तो मेरे परिवार का साथ दे।आपकी अपनी बेटी सीमा, पानीपत।