राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया।इस अवसर पर राष्ट्रपति ने ईईपीसी से कहा कि उसे उत्पाद की गुणवत्ता, बाजार और उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने, ईईपीसी द्वारा रक्षा, चिकित्सीय उपकरण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे नये और उभरते हुए क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदमों और इंजीनियरिंग क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए कौशल विकास पर जोर दिये जाने के लिए ईईपीसी की सराहना की।
राष्ट्रपति ने अपनी तरह का सबसे बड़े संगठन बनने पर ईईपीसी को बधाई दी है। इसके 13,000 से अधिक सदस्य हैं जिनमें से 60 प्रतिशत एसएमई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में देश से इंजीनियरिंग निर्यात 70 बिलियन अमरीकी डॉलर के आगे पहुंच गया है और ईईपीसी देश को जो सेवाएं दे रहा है यह उसका सबूत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियरिंग, भारतीय उद्योग का प्रमुख क्षेत्र और देश के कुल व्यापारिक निर्यात का 22 प्रतिशत से भी अधिक का निर्यात इस क्षेत्र से किया गया है। संगठित क्षेत्र में देश के कुल कारखानों में से 25 प्रतिशत इंजीनियरिंग क्षेत्र के हैं और यह देश के कुल उत्पादन में करीब 35 प्रतिशत का योगदान कर देश का सबसे उच्च विदेशी विनिमय करता है।
राष्ट्रपति ने कहा ईईपीसी की कई उपलब्धियां हैं लेकिन उसे अभी और लंबा रास्ता तय करना है। हालांकि विश्व में भारत का हिस्सा 1 प्रतिशत से भी कम है और इस स्थिति से संतुष्ट होना पर्याप्त नहीं है। आगामी दो दशकों में लगातार उच्च वृद्धि दर हासिल करने के लिए भारत को बुनियादी ढांचा, मानव एवं सामाजिक पूंजी के क्षेत्र में अधिक विनिवेश की आवश्यकता होगी इसलिए देश में बुनियादी ढांचा विकास महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ अधिक ध्यान देने योग्य है। इसी के अनुसार इंजीनियरिंग क्षेत्र की वृद्धि के लिए बुनियादी ढांचा और पूंजी निवेश को बढ़ाना आवश्यक है।राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि ईईपीसी अपने सभी हितधारकों के साथ समन्वय गतिविधियों के दायरे को बढ़ाता रहेगा और आने वाले समय में भारतीय इंजीनियरिंग उद्योग ब्रांड को सुदृढ़ करेगा। इस अवसर पर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन और ईईपीसी के अध्यक्ष श्री अनुपम शाह भी उपस्थित थे।