उत्तराखंड : पुलिसकर्मियों का आक्रोश दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। हलांकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने अभी पुलिस मुख्यालय से पुलिसकर्मियों के व्यय का ब्यौरा मांगा है जिससे कि पुलिसकर्मियों की आक्रोशित आँखों में कुछ आशा की किरणें अवश्य उजागर हुई हैं ।
परन्तु उच्चाधिकारियों के द्वारा अपने हक के लिये आवाज उठाने वाले कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही अमल में लाने की बात से समस्त उत्तराखंड पुलिस कर्मचारियों का आक्रोश सातवें आसमान पर पहुँच गया है ।
समस्त पुलिसकर्मी अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यदि उच्चाधिकारियों के द्वारा किसी भी पुलिसकर्मी के खिलाफ किसी भी प्रकार की विभागीय कार्यवाही अमल में लायी जाती है तो समस्त पुलिसकर्मी अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल करने के लिये विवश हो जायेंगे।
हालांकि अनुशासित बल होने के कारण अभी फिलहाल कार्य बहिष्कार जैसा कठोर कदम नहीं उठाया जायेगा।
समस्त पुलिसकर्मी मेहनत , लगन व ईमानदारी से अपनी – अपनी ड्यूटी पर सतर्क रहेंगे, परन्तु बिना कुछ खाये , अर्थात भूखे रहकर।
पुलिसकर्मियों ने गम्भीर निर्णय लिया है कि किसी भी पुलिसकर्मी के विरुद्ध यदि कोई भी दण्डात्मक कार्यवाही हुई तो समस्त पुलिसकर्मी , “पुलिस मैस” (पुलिस भोजनालय) में भोजन करना अनिश्चित काल के लिये बंद करने व भूखे पेट ही ड्यूटी करने के लिये मजबूर होंगे।
यह आर्यवर्त के इतिहास में सैनिकों द्वारा की गयी पहली अनूठी पहल होगी।फिलहाल भूख हड़ताल करने का निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि ऐसा करने में न तो कोई अनुशासनहीनता होगी और न ही कानून का उल्लंघन।
अपने इस फैसले को सभी उत्तराखंड पुलिस कर्मियों ने ‘फाइन टच’ दे दिया है। अब मात्र उच्चाधिकारियों की अग्रिम प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है।
समस्त पुलिसकर्मियों ने सहयोगी राजनीतिक दलों व अन्य सभी सहयोगी मंचों व दलों और मीडिया को साधुवाद! दिया है।
पुलिसकर्मियों की तलवार की भाँति पैनी व तीर की भाँति तीक्ष्ण आक्रोशित आँखें सरकार के फैसले को अपलक निहार रही हैं।
ध्यान दें! कि मामला पुलिसकर्मियों के समय वेतनमान को उच्चीकृत किये जाने व इस बावत दीर्घ आयु से लम्बित धनराशि , “एरियल” का है।यदि सरकार ने टालमटोल करने की कोशिश की तो शीघ्र ही आक्रोशित नेत्रों से अग्निवर्षा होना स्वाभाविक ही होगा।