उपायुक्त मनदीप सिंह बराड़ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कार्य योजना तैयार करें और एक महीने बाद वे स्वंय उस कार्य योजना की समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को आधारभूत ज्ञान और वर्तमान प्रतिस्पर्धाओं के मुताबिक गुणात्मक शिक्षा समय की सबसे बड़ी मांग है और इसके लिए अध्यापकों को समर्पित भाव से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा।
उपायुक्त आज विकास सदन अम्बाला शहर में शिक्षा विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने इस बैठक में विद्यालयों के परिणाम, स्कूलों में उपलब्ध ढांचागत सुविधाएं, सर्वशिक्षा अभियान के तहत विद्यार्थियों को दी जाने वाली विशेष सुविधाएं, विशेष आवश्यकता वाले विकलांग और मंदबुद्घि बच्चों की शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों, लड़कियों की शिक्षा में सुधार और जिला की शत-प्रतिशत लड़कियों को शिक्षित करने के लिए विद्यालयों में अध्यापकों द्वारा अपनाई जा रही रणनीति सहित शिक्षा से जुड़े सभी पहलूओं की गहनता से समीक्षा की। उन्होंने यह भी कहा कि वह शीघ्र ही जिला के सभी विकास खंडों में बेहतर शिक्षा परिणाम और बदतर शिक्षा परिणाम के स्कूलों का दौरा करेंगे।
श्री बराड़ ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि वह स्कूल प्रिंसीपलों और अध्यापकों की जिम्मेदारी तय करें कि वे साप्ताहिक और मासिक शिक्षा प्लान तैयार करके बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवाएं। इसके अतिरिक्त बच्चों को उनकी रूचि के मुताबिक रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करने के लिए भी समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करें और ऐसी गतिविधियों के लिए सर्वशिक्षा अभियान में संसाधन और बजट का प्रावधान है।
उन्होंने शिक्षा विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे संयुक्त रूप से अपने-अपने क्षेत्रों में स्कूल न जाने वाले 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों विशेष लड़कियों के आंकड़े एकत्रित करने के लिए प्रभावी सर्वे करें और ऐसे बच्चों के माता-पिता को उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अनुशासन में रहकर शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा देने के लिए स्कूल स्तर के प्रयासों के साथ-साथ समाज का सहयोग भी लिया जा सकता है और इसके लिए अध्यापकों को बच्चों के माता-पिता से सीधा सम्पर्क साधने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की सारिणी के मुताबिक विद्यार्थियों के शिक्षा ज्ञान की समीक्षा के लिए आयोजित की जाने वाली स्कूल स्तर की परीक्षाओं में भी पूरी सतर्कता रखें और इन परीक्षाओं के आधार पर बच्चों का मूल्यांकन करके उनकी कमियों को दूर करने के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में केवल आंकड़े एकत्रित करने की प्रथा की बजाए बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल मुखिया और अध्यापक को अधिक व्यवहारिक होकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने बैठक में विद्यार्थियों को दी जाने वाली मुफ्त पुस्तकें और वर्दियां, मिड-डे-मील इत्यादि के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त ऑरबिन्द शर्मा, सिविल सर्जन डा0 विनोद गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर कादियान, डीआईपीआरओ परमजीत सैनी, सीडीपीओ मिक्षा रंगा, सर्वशिक्षा के जिला परियोजना अधिकारी रविन्द्र कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी सुधीर कालड़ा, सुशीला ढिल्लों, मीना राठी सहित शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।