राज्य राजस्थान (प्रदीप पाल )हनुमानगढ़।हनुमानगढ़ राजस्थान का पहला जिला हो सकता है जहां के औद्योगिक क्षेत्र में शत-प्रतिशत वाटर हार्ड वेस्टिंग सिस्टम डवलप कर बरसाती पानी को जमीन तक पहुंचाने के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। पेश है प्रदीप पाल खास रिपोर्ट।
पानी अनमोल है। यह वो पदार्थ है जिसे कोई बना नहीं सकता। किसी कल कारखाने या विज्ञान में दम नहीं कि वह पीने के लिए पानी पैदा कर सके। शायद, पानी के महत्व को समझने के लिए इससे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती। इसलिए तो कहते हैं जल है तो कल है। लेकिन इस बात को समझते कितने लोग हैं ? सरकार ने भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए मकान या कारखाना बनाने से पूर्व वहां पर वाटर हार्ड वेस्टिंग सिस्टम विकसित करने की अनिवार्यता रखी। लेकिन पूरे प्रदेश भर में उसकी क्रियान्विति पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन हनुमानगढ़ संभवतः प्रदेश का पहला जिला मुख्यालय हो सकता है जहां पर औद्योगिक क्षेत्र में शत-प्रतिशत वाटर हार्ड वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम जोरों पर है। दरअसल, यह सब अचानक नहीं हुआ। हनुमानगढ़ इण्डस्टीज एसोसिएशन के सचिव जयपाल जैन इसकी शुरुआत की। उन्होंने इसे सामाजिक दायित्व समझते हुए अभियान के तौर पर लिया।हनुमानगढ़ इण्डस्टीज एसोसिएशन के सचिव जयपाल जैन कहते हैं कि हनुमानगढ़ शहर में करीब डेढ़ सौ कारखाने हैं जिनमें से करीब 102 कारखानों में सिस्टम डवलप किया जा चुका है। जैन के मुताबिक, जुलाई तक शत प्रतिशत कारखानों में यह सिस्टम तैयार करने की योजना है।आखिर, कितना आता है इस पर खर्च ? जयपाल जैन बताते हैं कि शुरू में इस पर करीब 35 हजार रुपए का खर्च आता था लेकिन सामूहिक रूप से अभियान के रूप में काम करने पर अब इस पर करीब साढ़े बाइस हजार रुपए का खर्च आ रहा है। यानी समूह में काम करवाने का सबको फायदा मिल रहा है। हनुमानगढ़ इण्डस्टीज एसोसिएशन के सचिव जयपाल जैन बताते हैं कि शुरू में जब उद्योगपतियों से चर्चा की तो प्रतिक्रिया ठण्डी आई। लेकिन जब उन्हें इसके महत्व के बारे में समझाया। कानूनी बाध्यताओं की जानकारी दी तो अधिकांश ने हामी भर दी। और परिणाम सामने है। आखिर, कैसे करता है यह काम। इस सवाल पर जयपाल जैन ने पूरे सिस्टम को तरीके से बताने की भरसक कोशिश की। जरा आप भी समझिए, इस बेहतरीन तकनीक को। जैन उम्मीद जताते हैं कि आने वाले मानसून के वक्त हनुमानगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में करोड़ों लीटर बरसाती पानी दुबारा जमीन के अंदर जाएगा जिससे हनुमानगढ़ का जल स्तर भी बढ़ेगा। बाकी उद्योगपतियों की भी कमोबेश यही राय थी। चाहे वे काली इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हरीश जैन हों या फिर ऋषभ जैन। सबने एक स्वर में इस तकनीक को सराहा। कुल मिलाकर, हनुमानगढ़ इण्डस्टीज एसोसिएशन का यह प्रयास काबिले तारीफ है। मामूली खर्च करने के साथ ही हम बरसात के बर्बाद होते पानी का संरक्षण कर सकते हैं। यह प्रकृति पर अहसान नहीं बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए पानी उपलब्ध करवाने की कवायद है। वरना पानी के मसले पर तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका पानी की गंभीरता की तरफ हम सबका ध्यान आकर्षित करती है। देखना यह है कि समय रहते कितने लोग इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए अपने स्तर पर तैयारी करते है।