इसे 400 सुनारों और कारीगरों ने सात साल की मेहनत से तैयार किया था। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं पर सोने के फॉइल की 12 परतें चढ़ी हुई हैं। इसमें पैदल रास्ते के अलावा छत और खंभे भी सोने के बने हुए हैं।
अभी तक हम देश में स्वर्ण मंदिर के तौर पर श्री दरबार साहिब अमृतसर को ही जानते हैं, लेकिन दक्षिण भारत में भी एक स्वर्ण मंदिर बन चुका है। तमिलनाडु के वेल्लोर के पास श्रीपुरम में बने महालक्ष्मी मंदिर के निर्माण में तकरीबन 15,000 किलोग्राम विशुद्ध सोने का इस्तेमाल हुआ है। स्वर्ण मंदिर श्रीपुरम के निर्माण में 300 करोड़ से ज्यादा राशि की लागत आई है। मंदिर के आंतरिक और बाह्य सजावट में सोने का बड़ी मात्र में इस्तेमाल हुआ है। विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है। रात में जब इस मंदिर में प्रकाश किया जाता है, तब सोने की चमक देखने लायक होती है।