लखनऊ. सीएम अखिलेश यादव ने अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए मंगलवार को 520 थानों के लिए 1056 गाड़ियां दीं, लेकिन इन गाड़ियों को पुलिस विभाग को सौंपने में केंद्रीय मोटर नियमन कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रख दिया गया। अखिलेश ने पुलिस विभाग को जो गाड़ियां सौंपीं, उनमें से एक पर भी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं था। जबकि, मोटर नियमन कानून में साफ तौर पर लिखा है कि कोई भी गाड़ी बगैर रजिस्ट्रेशन नंबर के सड़क पर नहीं उतारी जा सकती। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 2014 में आदेश दिया था कि शो-रूम से नई गाड़ी तभी सड़क पर आए, जबकि उस पर रजिस्ट्रेशन नंबर पड़ा हो।
ये कहता है केंद्रीय मोटर नियमन कानून
केंद्रीय मोटर नियमन कानून के पांचवें अध्याय की धारा 39 में साफ तौर पर लिखा गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी वाहन को कोई व्यक्ति सार्वजनिक या किसी अन्य जगह नहीं चला सकता। साथ ही इस धारा में ये भी साफ किया गया है कि अगर किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन निलंबित या रद्द किया गया हो, या उसका रजिस्ट्रेशन नंबर मानक के अनुसार न लिखा हो तो उसे नहीं चलाया जा सकता। इस अध्याय में कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि सरकारी गाड़ी को इस मामले में कोई छूट हासिल हो।