फरीदकोट के नगर निवासियों को बाबा शेख फ़रीद जी का आगमन दिवस मनाते तीस साल बीत चुके हैं।बाबा जी 23 सितम्बर 1215 ई: को यहाँ आए थे और उस समय इस कस्बे का नाम मोकलहर था।सुनते हैं कि उन्होंने अपनी गोदडी उतार कर उस स्थान पर रख दी थी ,जहाँ आजकल गोदडी साहब बना हुआ है।आप इस नगर के निवासियों को अपनी, दुयायों के साथ मालामाल करने के लिए बिना गोद के आ गए।राजा के सिपाहियों ने आप को एक साधारण मुसाफिर समझकर किले की बेगार में लगा लिया।उन दिनों में राजपूत चौधरी मोहकलसींह अपने लिए एक कच्ची गढ़ी का निर्माण करवा रहा था जब कीचड की भरी टोकरी बाबा जी के सिर पर रखी गई तो टोकरी सिर पर टिकने की बजाय हवा में ही तैरदी रही यह देखकर सब को इस पहुँचे हुए दरवेश की असमत का गियान हो गया।राजा मोहकलसींह ने बाबा जी से खिमाँ माँगी और उन को कुछ दिन उन्होंने के पास रुक जाने के लिए विनती की।बाबा फ़रीद जी ने राजा की विनती को स्वीकृत करते हुआ कच्ची गढ़ी के सामने एक वन के वृक्ष नीचे बैठकर 40 दिन तक तपस्या की और उस के बाद अजोधन(पाकपटन) के लिए रवाना हो गए।उस दिन से इस नगरी का नाम फरीदकोट पड़ गया।इस के बाद 1986 से बाबा शेख फ़रीद जी का आगमन पूर्व बड़े स्तर पर मनाया जाने लग पड़ा इस बार बाबा जी के आगमन 800 साला है इसको शानो शौकत के साथ मनाते स्र. मालविन्दर सिंह जगी आई.ए.ऐस.डिपटी कमिशनर,स्र. सुखमन्दर सिंह मान आई.पी.ऐस.(ऐस.ऐस.पी) सारा ज़िला प्रशाशन और समूह समाज सेवीं संसथांयें शामिल थी ।मेरी बाबा शेख फ़रीद जी आगे अरदास है कि फरीदकोट शहर पूरे देश में साझीवालता के पवित्र स्थान के तौर पर जाना जाता रहे।