हनुमानगढ़/राजस्थान(प्रदीप पाल)। यह तो प्याज पर सियासत है जिसे राजनीतिक दल अपने हिसाब से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आम जन को राजनीति से क्या वास्ता। उन्हें तो बस, रियायत चाहिए। जो अभी पब्लिक से कोसों दूर है। शायद, सबको अच्छे दिन का इंतजार है। प्याज। अचानक चर्चा में आ गया। सिर्फ बढ़े हुए दाम को लेकर। अचानक प्याज इस तरह सुर्खियां बटोर लेगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। लगता है, प्याज के पड़ोसियों को भी इसकी ख्याति से जलन होने लगी है। तभी तो मिर्ची आंखें दिखा रही है और टमाटर गुस्से से लाल हो रहा है। लेकिन सब्जी मंडी में बाकी सब्जियों के बीच चुपचाप बैठा प्याज अपनी बढ़ी हुई पूछ से इतरा रहा है। हां, उसे गम है कि वह आम जन से कोसों दूर हो रहा है। वैसे आम जन से उसका पुराना वास्ता रहा है। सदियों का वास्ता। गरीब तो उसे इतना चाहते हैं कि पूछिए ही मत। एक प्याज ही तो था जिसके बूते कई परिवारों का गुजारा चल जाता। प्याज है तो उसकी चटनी बनाकर सब्जियों को बाय-बाय कह देते थे लोग। लेकिन जमाखोरों ने प्याज को इस कदर जकड़ लिया कि प्याज चाहकर भी उनके पास फटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। राजस्थान के लोकप्रिय कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभुलाल सैनी जो जनता को नसीहत दे रहे हैं कि अगर प्याज नहीं खाओगे तो मर तो नहीं जाओगे? खैर, मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस और माकपा को जैसे बड़ा मुद्दा मिल गया। विपक्षी नेताओं ने इस विवादित बयान के लिए मंत्रीजी को आड़े हाथों लिया।