spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

पंजाब की कृषि में संचार व संवाद तकनीक का होगा पूरा सदुपयोग -एफसीडी कल्सी

पटियाला,: पंजाब की कृषि में अल्ट्रा मार्डन सूचना, संचार व संवाद तकनीक का पूरा सदुपयोग किया जाए। जिससे ना केवल किसानों की समस्याओं की जानकारी प्राप्त हो अपितु उन समस्याओं के समाधान भी अन्य किसानों को तुरंत बताए जाएं जिससे कम समय में अधिक से अधिक भला हो ओर राज्य की कृषि का विकास हो। हाल ही में वित्त कमिश्रर विकास का कार्यभार संभालने वाले राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री नरिंदर सिंह कल्सी ने राज्य के सभी मुख्य कृषि अधिकारियों से अपने जिलों के फेस बुक पेज बनाने को कहा है। जिससे उस जिले में कृषि की स्थिति, फसलों अधीन रकबा, प्राप्त होने वाली उपज के अलावा किसानी संबंधी समस्याएं उनके समाधान सामने रखे जाएं।
पटियाला, संगरूर, बरनाला जिलों के कृषि अधिकारियों के साथ आज मिनी सचिवालय में आयोजित की गई बैठक में कहा कि आज पंजाब के हर घर में तेजी से पहुंच करने और राज्य की नीतियों, सरकार की योजनाओं को जल्द से जल्द बताने के लिए फेस बुक व वाह्टस एप जैसे सोशल मीडिया साधन खासे कारगर हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री कल्सी ने कहा कि वैब साइट ठीक है पर अब पुराने समय की बात हो गई है। किसान चाहे सोशल साइट पर ना जाए पर उसके बच्चे जरूर उसे बता देंगे और यथा योज्य जानकारी दे देंगे।
एफसीडी ने जहां मुख्य कृषि अधिकारियों से सुझाव मांगे हैं वहीं यह भी कहा कि हर अच्छा सुझाव वायरल किया जाएगा। साथ ही उन्होंने हर कृषि अधिकारी को वाह्टस एप पर ग्रुप बनाने के निर्देश देते हुए कहा है कि हर क्षेत्र में बनने वाले ग्रुप में उन्हें भी साथ में जोड़ा जाए जिससे गतिविधियों व सक्रियता पर नजर रखी जा सके।
श्री कल्सी ने कहा कि जब कृषि को बिजली रात में मिल रही है तो किसान खेती का काम भी रात में ही करता है, जबकि कृषि अधिकारी दूर दराज के गांवों में दिन में नहीं जाते रात में पेश होने वाली समस्याओं से वाकिफ कैसे होंगे। श्री कल्सी ने कड़े निर्देश देते हुए कहा कि अधिकारी गांवों में रात के समय में जाएं और रहें। ऐसे गांवों में रात के समय में शिविर लगाएं जहां पहले कभी नहीं लगे और वहां की समस्याओं व वस्तु स्थिति की वीडियो क्लीप बना कर शेयर करें उनके साथ शेयर करें।
दूसरी ओर श्री कल्सी ने बताया कि राज्य में इस बार गेहूं की उपज का आंकड़ा 106.42 लाख टन के पार चला गया है, जो पिछले साल के कुल उत्पादन 105 लाख टन से अधिक है। अनुमान है कि कुल उत्पादन 110 लाख टन हो जाएगा। हांलाकि श्री कल्सी ने अधिकारियों से किसानों को डावरसीफिकेशन की ओर तेजी से ले जाने, कृषि लागत कम करने और मिट्टी की उर्वरा शक्ति व पानी जैसे संसाधन बचाने की दिशा में काम करने को कहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि जब राजस्थान व महाराष्ट्र जैसे राज्य कर सकते हैं तो पंजाब क्यों नहीं?
साथ ही उन्होंने धान की पराली को जलाए बिना खेती करने, रसायनिक खादों व स्प्रे का प्रयोग कम करने सहित कृषि क्षेत्र में किए गए अच्छे तजुर्बों व किसानों को प्रामाणिक बीज, खाद व जिप्सम व उपकरण आदि की सब्सिडी को बिना परेशानी के सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाने संबंधी सुझाव भी मांगे हैं।
वहीं बिशनपुर छन्ना गांव के किसान राजमोहन सिंह कालेका ने सुझाव दिया कि आर्गेनिक खेती करने वालों को ना केवल प्रमोट किया जाए अपितु उनके लिए सरकार विशेष योजनाएं लाए जिससे इस तरह के जहर मुक्त उत्पादों की मार्केटिंग व पैकेजिंग कर उनकी विश्वसनीयता बढ़ाई जाए। इसी तरह सोया उत्पाद बनाने वाले सतनाम सिंह के सुझावों को भी खासा सराहा गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित रहने वालों में कृषि विभाग के निदेशक श्री जसबीर सिंह बैंस, डिप्टी कमिश्रर श्री रामवीर सिंह व अतिरिक्त डिप्टी कमिश्रर विकास श्री परमिंदर पाल सिंह संधू शामिल हैं।

Previous article
Next article

Related Articles

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles