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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में बीज पर मिलने वाली सब्सिडी के घोटाले मामले पर सुनवाई हुई

चंडीगढ : पंजाब में केंद्र सरकार की स्कीमों के तहत बीज पर मिलने वाली सब्सिडी के घोटाले मामले में चार कंपनियों के लाइसेंस रद कर दिए गए हैं। यह जानकारी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इस मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब के कृषि निदेशक एमएस संधू ने दी।उन्होंने हलफनमा दाखिल कर बताया कि इस घोटाले के लिए दोषी अधिकारियों को कारण बताआे नोटिस जारी करने के बाद अब उनपर चार्जशीट दायर की जा चुकी है। मामले में याचिकाकर्ता ने अपील दायर करते हुए कहा था कि पंजाब सरकार को केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न स्कीमों के तहत किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए सब्सिडी राशि मिलती है। इस सब्सिडी को कंपनियों और अधिकारियों ने मिलीभगत कर किसानों तक नहीं पहुचंने दिया गया और सारी राशि का बंदरबांट कर लिया गया
शैलेंद्र नामक व्यक्ति द्वारा याचिका में कहा गया कि इस मामले काे नेता विपक्ष सुनील जाखड़ ने विधानसभा में भी उठाया था। इसके बाद विधानसभा स्पीकर द्वारा मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने अपनी जांच के दौरान पाया की बड़े स्तर पर फर्जी नामों को दिखा कर अधिकारियों व कंपनियाें ने सब्सिडी की राशि का घोटाला किया।याचिका मेें कहा गया है कि जांच पूरी होने से पहले ही इस कमेटी को भंग कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच पूरी करने के निर्देश देते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। अवमानना याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद पंजाब सरकार द्वारा अभी तक दोषी कर्मचारियों, अधिकारियों और कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
हलफनामे में पंजाब सरकार की ओर से बताया गया कि बीज सप्लाई करने वाली चार कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए है तथा इस मामले में दोषी अधिकारियों की सूची तैयार करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। सभी का जवाब आने के बाद इनसे असंतुष्टि होने पर उनके खिलाफ आगे कार्रवाई की गई और उनपर चार्जशीट दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने इस हलफनामे पर असंतुष्टि जताते हुए कहा गया कि जांच व कार्रवाई बहुत छोटे स्तर पर की जा रही है। केवल चार कंपनियों के लाइसेंस रद कर बस खानापूर्ति की गई है। पूरे पंजाब में 400 से अधिक ऐसी फर्म हैं जो इस लूट में शामिल थीं और दोषी अधिकारियों की संख्या भी बहुत अधिक है। ऐसे में इस मामले में उच्च स्तरीय जांच जरूरी है। हाईकोर्ट की याची की दलीलों को सुनने के बाद 29 जनवरी तक सुनवाई को टाल दिया।

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