मुंबई। गोवंडी शिवाजी नगर स्थित 44/ई राशनिंग कार्यालय दलालों का अड्डा बन गया है। यहाँ ऐसा कोई काम होता नहीं जो दलाल के बिना हो जाए।जिससे कहा जाता है की गोवंडी का राशनिंग कार्यालय दलालों के कब्जे में है। आरटीआई से जानकारी मांगने पर अ दलालों का सिंडिकेट माहिती देने ही नही देता है और इसका प्रतक्षया उदाहरण राकेश सुराणा है , उनकी एक माहिती २०१० से पेंडिंग है और दूसरी २०१३ से पेंसिंग है.
छानबीन से पता चला है की यहाँ नाम चढ़ाने का 2 हजार,नाम काटने का 1 हजार,नया कार्ड का 8 से 10 हजार,पता बदली करने का 5 हजार,वेरिफिकेशन करने का 1500 और अन्य छोटे मोटे सभी काम का एक रेट तय है।इसके अलावा हर एक काम का पैसा दो काम लो का हिसाब है।सूत्र बताते हैं की यहाँ के हर दुकानदार कहीं न कहीं दलाली में लिप्त है।जिसके माध्यम से कार्ड आसानी से बन जाता है। सबसे अधिक फर्जी राशनकार्ड बिना सही प्रमाड़पत्र के इसी कार्यालय के माध्यम से बनते हैं।जिसकी जानकारी ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी को है।सूत्रों का कहना है की यहाँ के दुकानदार उच्च स्तर पर कालाबाजारी भी करते हैं।जिसकी समय समय पर शिकायत होते रही है।एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की इस कार्यालय के सामने एक होटल है जहां पर दलालों की हमेशा भीड़ लगी रहती है।यहाँ पर महिला दलालों का बोलबाला है।जो काम कोई नहीं कर पाता वह काम यहाँ की महिला दलाल करती हैं।उन महिला दलालों का क्लर्क एआरओ और आरओ से मधुर संबंध हैं।जिसके चलते उनका काम फ़टाफ़ट होता है।पिछले साल जब विभागीय कार्यवाई हुई थी तो सारे पकडे गए राशनकार्ड महिला दलालो द्वारा बनायेगए पाए गए थे।यहाँ के दुकानदार खुलेआम किरोसिन और अनाज की कालाबाजारी करने का काम करते हैं।रूपवते नामक एआरओ की दलालों से हमेशा तू-तू ,मैं-मैं भी होती रहती है।जिसकी शिकायत गत दिनों डीसीआर से की गई थी।दलालो के एक सहयोगी ने इस संवाददाता को बताया की आरओ और क्लर्क सभी पैसा लेकर ही हस्ताक्षर करते हैं नहीं तो महीनो दौड़ाते हैं और काम होता नहीं है हार मान कर ही दलालो का सहारा लेना पड़ता है।इस संबंध में जब यहाँ के आरओ को तीन बार फोन किया गया तो वह मीटिंग में होने की बात कर फोन काटते रहे।बाद में लैंडलाइन पर फोन करने पर बड़ी मुश्किल से फोन उठाये और यह कह कर फोन काट दिए की इसकी जानकारी देना मैं उचित नहीं समझता।