सुल्तानपुर:-अमहट गोलीकांड में कोतवाली पुलिस अपने अनोखे खेल के चलते एसपी के दावे को फेल करने में जुटी हुई है,और एसपी भी इस खेल से अंजान है,नतीजतन मामले के विवेचक जिन्होंने खुद ही सीजेएम् की अदालत में आरोपियों को दुसरे मुक़दमे में वांछित बताते हुए उनके रिमांड को लेकर जेल से तलब किये जाने की मांग भी की है,वे आरोपी जेल से रिहा भी हो गए और पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास भी नहीं किये।पुलिस की कार्यशैली से सवाल उठता है की आखिर पुलिस इस कांड के आरोपियों को गिरफ्तार ही नहीं करना चाहती थी या फिर इनके सूचना तंत्र इतने कमजोर है की वांछित आरोपी जेल से रिहा हो गए और इन्हें भनक तक नहीं लगी।पुलिस की यह कार्यशैली सवालो के घेरे में आ गई है।एसपी ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है।
मालूम हो कि बीते 21 जुलाई को अमहट चौराहे पर दो पक्षो के बीच जमकर फायरिंग हुई,इस दौरान कई गाड़ियां भी आग के हवाले कर दी गई।घटना की सूचना पर भारी संख्या में पुलिस बल पंहुचा तो विवाद पर काबू पाया जा सका।इस घटना के सम्बन्ध में सिपाही मो.इस्लाम खान,मसरुरुल हसन व अली इमाम खान की अलग अलग तहरीरों पर अलग अलग मुकदमा कई नामजद व अज्ञात लोगो के खिलाफ दर्ज किया गया।मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी सोनिया सिंह ने दोषियो पर कड़ी कार्यवाही का दावा भी किया था,इस मामले में पुलिस ने सिपाही के जरिये दर्ज कराये मुक़दमे में आरोपी सालार,शेरू,आशिक,जहीर व चाँद समेत अन्य को गिरफ्तार कर जेल भेजने की कार्यवाही की,शुक्रवार को विवेचक अनिल सोनकर की तरफ से सीजेएम के अदालत में उक्त 5 आरोपियों को मसरुरुल हसन के जरिये दर्ज कराये मुकदमे में वांछित बताते हुए रिमांड के लिए उन्हें जेल से तलब किये जाने के सम्बन्ध में अर्जी दी गई,अर्जी को स्वीकार करते हुए अदालत ने इन सभी आरोपियों को 10 अगस्त के लिए जेल से तलब करने का आदेश भी दिया,इसी बीच शुक्रवार को ही सत्र न्यायालय से पांचो आरोपियों की जमानत मंज़ूर हो गई और वे रिहा भी हो गए,सूत्रो के मुताबिक इसी ख़ुशी में जूलूस भी निकाला गया,अब सवाल उठता है कि आखिर इन पांचो आरोपियों को जब पुलिस वांछित बता रही है तो इनके रिमांड के लिए पहले ही प्रयास क्यों नहीं किया गया या फिर इनकी रिहाई के तुरंत बाद ही गिरफ्तारी के प्रयास क्यों नहीं किये गए या फिर इनकी गिरफ्तारी अभी जरूरी नहीं थी तो आखिर विवेचक ने कोर्ट में दी गई अर्जी में इन्हें वांछित होना क्यों बताया,अगर यह सब बाते नहीं है और पुलिस वास्तव में इनकी गिरफ्तारी करना चाहती थी तो क्या इनके सूचना तंत्र ही कमजोर हो गए है जिनकी वजह से रिहाई होने की भनक तक इन्हें नहीं लग पाई। इस तरह से अन्य कई अनसुलझे सवाल पुलिस की कार्यशैली पर खड़े हो रहे है,इस सबंध में जिम्मेदारों ने भी कोई सटीक उत्तर नहीं दिया है,सभी ने गोल मोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया।कुल मिलाकर यह सब कार्यशैलियां आरोपियों को राहत देने के उद्देश्य से जान बूझकर किया जाना मानी जा रही है,जिससे एसपी के दावे पर पलीता लगना स्वाभाविक है,इस करतूत के बारे में एसपी को जानकारी हुई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराने की बात कही है,अब अगर मान भी लिया जाय कि पुलिस जरूरी समझेगी तो आरोपियों की गिरफ्तारी कर ही लेगी तो वह बाद की बात है,इस समय तो पुलिस के पाले से गेंद निकल चुकी है।