नई दिल्ली : चीनी सैनिकों ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के करीब भारतीय इलाके में चल रहे नहर के कंस्ट्रक्शन को रुकवा दिया। आईटीबीपी के 70 और चीन के 55 सैनिक कई घंटे तक आमने-सामने रहे। इस बीच, इंडियन एयरफोर्स ने अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा से 29 किलोमीटर नजदीक दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर उतार दिया। ग्लोबमास्टर 6200 फीट की ऊंचाई पर सिर्फ 4200 फीट लंबे इलाके में उतरा। कहां आमने-सामने हुए दोनों देशों के सैनिक…
चीनी सैनिकों ने कहा कि भारत को लद्दाख में LAC के पास कंस्ट्रक्शन से पहले इजाजत लेनी चाहिए थी। हालांकि, दोनों देशों के बीच सिर्फ डिफेंस सेक्टर में होने वाले कंस्ट्रक्शन की जानकारी शेयर करने का समझौता है। घटना में दोनों देशों के सैनिकों ने फ्लैग लगाकर पोजिशन ले ली। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को आगे नहीं बढ़ने दिया। बता दें कि 19 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली में भी चीनी सैनिक नहर का काम रुकवा चुके हैं। तब भी भारतीय जवानों ने उन्हें वापस भेज दिया था।2014 में भी लद्दाख के निलुंग नाले का काम चीनी सैनिकों ने रुकवाकर मजदूरों के टेंटों को नुकसान पहुंचाया था।
भारत ने पांच ग्लोबमास्टर मिलिट्री एयरक्राफ्ट अमेरिका से खरीदे थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री एयरक्राफ्ट है जो आर्मी जवानों और उनके भारी से भारी सामान को कहीं भी पहुंचा सकता है। चीन बॉर्डर के नजदीक इस एयरक्राफ्ट की लैंडिंग पड़ोसी को एक इशारा है कि भारत हालात पर पैनी नजर बनाए हुए है। ग्लोबमास्टर को जिस मेचुका इलाके में लैंड कराया गया, उस इलाके में 1962 की जंग के दौरान भारत को काफी नुकसान हुआ था।
– अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट सियांग जिले के मेचुका के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर पहली बार ग्लोबमास्टर ने लैंडिंग की। इससे पहले हाल ही में एयरफोर्स ने अपने सी-130 जे. सुपर हार्कुलिस विमान को भी यहीं सेफ लैंडिंग कराई गई थी। लैंडिंग ग्राउंड का रनवे आम एयरपोर्ट से छोटा है। इसलिए यहां ग्लोबमास्टर की सेफ लैंडिंग बड़ी कामयाबी है। इस इलाके से ट्रेन या हवाई यात्रा के लिए पहले सड़क से डिब्रूगढ़ तक का 500 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।