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किसी समें गियानी ज़ैल सिंह ( पूर्व राष्ट्रपति भारत) जिस जेल में करीब 5 साल बंद रहे,वह जेल अब कहलवाऐगी राष्ट्रीय विरासत

फरीदकोट ज़िलो के छोटे से गाँव से उठ कर दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र देश का राष्ट्रपति बनने वाले हमारे भारत देश के पहले सिक्ख व्यक्ति सव. ज्ञानी जेल सिंह के साथ सबंधित फरीदकोट की पुरानी जेल की काल कोठरी अब राष्ट्रीय विरासत कहलाएगी और पंजाब सरकार की तरफ से करीब 23 कनालें ज़मीन में इस विरासत को विकसित करने के लिए बाबा फ़रीद यूनीवरस्टी आफ हैल्थ साइंस फरीदकोट को हिदायतें जारी की गई हैं, पंजाब सरकार के इस ऐतिहासिक फ़ैसले के साथ फरीदकोट निवासी में ख़ुशी की लहर पाई जा रही।
फरीदकोट शहर निवासीयों में ख़ुशी की लहर पाई जा रही है और लोग पंजाब सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं कि सरकार ने एक अहम ऐतिहासिक फ़ैसला लेट हुए फरीदकोट की पुरानी जेल की उस काल कोठरी को एक राष्ट्रीय विरासत के तौर पर विकसित करन का ऐलान किया है जिस में उस समय के फरीदकोट से प्रजा मंडल के प्रधान रहे ज्ञानी ज़ैल सिंह जो कि बाद में भारत के राष्ट्रपति बने, जिन्होंने करीब 5 साल कैद काटी थी और यहाँ चक्की भी पीसी थी।पंजाब सरकार की तरफ से शहर निवासीयो की इस माँग को मुख्य रखते यूनीवरस्टी प्रशाशन को करीब 23 कनाल ज़मीन राष्ट्रीय विरासत बनाने के लिए छोड़ने के लिए कहा गया है।
इस मौके जानकारी देते हुए शहर निवासीयो ने बताया कि थे 1938 में जब फरीदकोट रियासत के राजो ने रियासत अंदर भारत का तिरंगा झंडा लहराने और पाबंदी लगाई हुई थी तो उस समय प्रजामंडल की तरफ से इस का विरोध किया गया था और ज्ञानी जेल सिंह उस समय प्रजा मंडल के प्रधान थे इस लिए उन को पकड़ कर फरीदकोट जेल की एक कोठरी में रखा गया जहाँ उन्होंने पूरे पाँच साल कैद काटी और मुशक्कत के तौर पर अपने हाथ के साथ चक्की से आटा पिसा।शहर निवासी प्रो. दलबीर सिंह ने कहा कि वह धन्यवादी हैं पंजाब सरकार के जिन्होंने ज्ञानी जेल सिंह जैसी सखशियत के साथ सबंधित विरासत को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया है, उन्होंने सरकार से माँग की कि इस विरासत को ज्ञानी जी के अगले साल आ रहे वें जन्म दिन पर मुकम्मल किया जाये और उन की जन्म सताबदी बहुत धूमधाम के साथ मनायी जाये।उन्होंने कहा कि ऐसों सखशियतो के साथ सबंधित यादचिन्हों को विरासत के तौर पर विकसित करने के साथ आने वाली नौजुआन पीढ़ी को नयी सीध मिलेगी।
इस मौके बातचीत करते ट्रस्ट के सैक्ट्री ने कहा कि पंजाब सरकार के वह धन्यवादी हैं जिन्होंने ज्ञानी जी जैसी सखशियत के साथ सबंधित इस यादगार को राष्ट्रीय विरासत के तौर पर विकसित करने के हुक्म दिए हैं, उन्होंने कहा कि पहले भी पंजाब सरकार की तरफ से उन को फंड दिए गए थे जिस के अंतर्गत उन की तरफ से ज्ञानी जी के जन्म स्थान तो एक स्मारक का निर्माण किया गया था उन्होंने कहा की ज्ञानी ज़ैल सिंह की याद शक्ति ऐसी थी जिस ने भी उनके लिए जो भी किया होता था उसे वह कभी भुलदे नहीं थे और सब के साथ मिलजुल्ल कर रहते थे, इस लिए ऐसी सखशियत की यादगार बनाने साथ उन की मिसाल आने वाली पीढ़ीयें को एकजुट रहने का संदेश देती रहेगी।
gjsचाहे यूनीवरस्टी प्रशाशन ने वह कोठरी गिरा दी थी जहाँ ज्ञानी जी को रखा गया थी परन्तु कालकोठरी का मलबा अभी भी वहां ही पड़ा है और यूनिवर्सिटी प्रशाशन ने इस इमारत को गिराना बंद कर दिया, अब देखना यह होगा कि यूनिवर्सिटी प्रशाशन और सरकार शहर निवासियों की वह माँग कि मई 2016 में ज्ञानी जी का जन्म दिवस है और तब तक सरकार इस स्मारक को तैयार करने पर क्या गोर करती है और यह स्मारक कब तक बन कर तैयार होती है।
फरीदकोट से शरणजीत की रिपोर्ट

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