पटियाला,: भारत अंगों की विफलता के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है और कई मामलों में अंग प्रत्यारोपण की सख्त जरूरत है। अंगों की कमी के संकट के कारण पहले भी हजारों लोग नई जिंदगी पाने से वंचित रह गए और दुर्भाग्यवश यह स्थिति और विकराल ही होती जा रही है। चूंकि बहुत कम लोग अपने अंगों का दान करने के लिए आगे आते हैं इसलिए महज 2-3 प्रतिशत मरीजों को ही प्रत्यारोपण के रूप में इसका लाभ मिल पाता है। लिहाजा अंग प्रत्यारोपण कराने की प्रतीक्षा कर रहे मरीजों की फेहरिस्त लगातार बढ़ती ही जा रही है।
अंगदान दिवस के इस मौके पर कोलंबिया एशिया हाॅस्पिटल-पटियाला ने अंगदान की शपथ लेने की जरूरत और महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के मकसद से इस विषय पर एक वार्ता सत्र का आयोजन किया। प्रतिवर्ष हजारों लोगा किडनी, लीवर तथा हार्ट आदि जैसे अंगों की विफलता के कारण काल का ग्रास बन जाते हैं। वैसे तो चिकित्सा विज्ञान में हुई तरक्की से अंग विफलता के शिकार मरीजों में अंग प्रत्यारोपण कराने की नई राह खुली है लेकिन भारत समेत पूरी दुनिया में अंगदाताओं की कमी ही सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है।