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करोड़ों रुपए का प्रोजैक्ट हो रहा है मिट्टी, सरकारी तंत्र खामोश

फरीदकोट (शरणजीत ) अखबारों की सुर्खियो और टी वी चैनलों की हैडलायनें बनने वाली किसानों की आत्महत्याओ की खबरें रुक सकतीं थी यदि, फरीदकोट की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में बनी बीज परख लेबोरेटरी चलती रहती ।फरीदकोट में बनी इस लैब में किसानों के लिए पंजाब सरकार की तरफ से मछीने लगाई गई थी।जिसमे में बीजो का डी ऍन ए टैस्ट करने वाली मशीन भी शामिल है।परन्तु करीब १५ वर्षो बाद भी यह मछीने चालू नही हो पाई ।दैनिक सवेरा से बात करने पर विभाग की तरफ से एडीशनल तौर पर विभाग के कर्मचारियों को ही लगाए जाने की बात कही जा रही है।परन्तु असली हालात यह हैं कि मशीने आज लैब की बिलडिंग में पड़ीं मिट्टी हो रही हैं।इस दौरान जब फरीदकोट के गाँव डोहक के किसान परमपाल सिंह के साथ बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन को पता लगा है कि फरीदकोट में ऐसी मशीन करीब १५ साल से बंद पड़ीं हैं जिससे बीजो की सही क्वालिटी की परख होती है ,यदि सरकार इन मशीनों को शुरू करती तो किसानो की ख़ुदक़शीयो को रोका जा सकता था।इसके साथ ही उन्होंने सरकार से माँग की कि इन मशीनों को जल्द चलाया जाये।ताकि किसानों को सही बीज बोन से पहले ही बीज की गुणवत्ता पत्ता लग सगे।
क्या कहते हैं सबंधित अधिकारी
जदो इस सभी मामलो बारे फरीदकोट के मुख्य कृषि अफ़सर बलजिन्दर सिंह बराड़ के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा कि कई सालों से यह लैब बंद पड़ी है और सरकार की तरफ से अपेक्षित स्टाफ भी नियुक्त कर दिया गया है।उन्होंने सरकार से इन उपकरणों को शुरू करने हेतु फंड की मांग की है उसके बाद ही इन्हे शुरू किया जा सकता है
इस मामले में जो बात सहमने आई है वह यह है की सरकार ने करोड़ो रु खर्च कर जो प्रयोगशाला बनाई थी वह विभाग की सुस्ती या सरकार के ढील मुल रवईए के चलते बंद पड़ी है |१५ -२० वर्ष बनी इस प्रयोगशाला में कुछ उपकरण और मछीने की तो अभी तक पैकिंग भी नही खोली गयी है |देखना यह है की कुम्भकर्ण से भी ज्यादा गहरी नींद में सोये कृषि विभाग के अधिकारी कब जागते है

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